कृषि साख या ‌कृषि‌ वित्त क्या है अर्थ, परिभाषा एवं इसका वर्गीकरण, आवश्यकताएं व समस्याएं लिखिए

Agriculture Studyy
3 min readJun 23, 2021

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कृषि साख या कृषि वित्त वह मुद्रा या पूंजी है जिसे एक किसान या ग्रामीण व्यक्ति दूसरे व्यक्तियों से अपने कार्य में खर्च, अपने परिवार के खर्च या कुटीर उद्योगों के खर्चे पूरा करने के लिए उधार लेता है ।

कृषि साख या ‌कृषि‌ वित्त क्या है अर्थ, परिभाषा एवं इसका वर्गीकरण, आवश्यकताएं व समस्याएं लिखिए

कृषि साख का क्या अर्थ है? meaning of agriculture credit in hindi

साथ अंग्रेजी शब्द ‘Credit’ का अनुवाद है ओर credit शब्द की उत्पत्ति लैटिन शब्द क्रेडो (Credo) से हुई है, जिसका अर्थ विश्वास या भरोसा होता है ।

अर्थशास्त्रियों ने साख के विभिन्न अर्थ दिए हैं -

कृषि साख का अर्थ (meaning of agriculture credit in hindi) अतः कृषि साख का अर्थ उस मुद्रा या पूंजी से होता है जिसे कृषक भविष्य में लौटाने के वायदे पर लेता है चाहे वह पूंजी या मुद्रा फार्म के खर्च के लिए ली गई हो या परिवार के घरेलू खर्चे चलाने के लिए ली गई हो ।

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कृषि साख या कृषि वित्त क्या है इसकी परिभाषा लिखिए?

कृषि साख या ‌कृषि‌ वित्त क्या है अर्थ, परिभाषा एवं इसका वर्गीकरण, आवश्यकताएं व समस्याएं लिखिए

कृषि साख की परिभाषा (defination of agriculture credit in hindi) -

“कृषि साख की परिभाषा इस प्रकार दी जा सकती है कि इसका अर्थ निवेश किए गये उस धन की मात्रा से है जो कार्य के विकास व उत्पादकता के निर्वाह के लिए उपलब्ध हो ।”

कृषि साख या कृषि वित्त का वर्गीकरण कीजिए? classification of credit or finance in hindi

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अखिल भारतीय ग्रामीण साख परिवेक्षण समिति (all india rural credit committee) ने ग्रामीण साख का कई प्रकार से वर्गीकरण किया है -

  • ऋण लेने की आवश्यकतानुसार
  • सुरक्षा के आधार पर
  • ऋणदाता के अनुसार
  • समय के अनुसार
  • ऋणी के आधार पर वर्गीकरण
  • परिस्थितियों के आधार पर

भारतीय कृषि साख की आवश्यकतायें लिखिए? | credit needs of indian agriculture in hindi

विभिन्न अर्थशास्त्रियों, संस्थाओं व समितियों ने कृषकों की ऋण आवश्यकता का आकलन किया है जो निम्नलिखित है -

1. सर्वप्रथम केन्द्रीय बैंकिंग जाँच समिति ने 1949 में कृषि के लिये 300 से 400 करोड़ रुपये के अल्पकालीन ऋण व 500 करोड़ रुपये के दीर्घकालीन ऋण की आवश्यकता का अनुमान लगाया था ।

2. इसके पश्चात् 1950–51 में रिजर्व बैंक ऑफ इण्डिया द्वारा नियुक्त भारतीय ग्रामीण सर्वेक्षण समिति ने कृषकों के अल्पकालीन मध्यकालीन व दीर्घकालीन ऋण की प्रति वर्ष 750 करोड़ रुपये की आवश्यकता बताई थी ।

3. 1961–62 में अखिल भारतीय ग्रामीण ऋण — ग्रस्तता एवं निपेक्ष सर्वेक्षण ने कुल पूँजीगत खर्च 626 करोड़ रुपये का आंका था, जिसमें से 33 प्रतिशत ऋण के रूप में प्राप्त किया था ।

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कृषि साख या कृषि वित्त की क्या समस्याएँ है? problems of agricultural credit in hindi

अखिल भारतीय ग्रामीण साख सर्वेक्षण समिति के अनुसार, “वर्तमान समय में विभिन्न ऐजेन्सियों द्वारा जो कृषि साख प्रदान की जा रही है, वह अपर्याप्त है उचित प्रकार की नहीं है तथा सही समय पर सही व्यक्तियों तक नहीं पहुंच पा रही है ।” इससे यह बात स्पष्ट है कि हमारे देश में कृषि साख (agriculture credit in hindi) समस्या एक महत्त्वपूर्ण समस्या है ।

कृषि वित्त या कृषि साख की निम्न प्रमुख समस्यायें है -

1. उपलब्ध साख सुविधाएँ कृषक की साख सम्बन्धी आवश्यकताओं की तुलना में बहुत कम है ।

2. देश में पिछले कुछ वर्षों में कृषि वित्त के क्षेत्र में संस्थागत ढांचे को तेजी से विकसित किया गया है तथा ग्रामीण स्तर पर सहकारी ऋण समितियाँ, व्यावसायिक बैंक, ग्रामीण बैंक कार्य कर रहे हैं, लेकिन इनके द्वारा प्रदान की जाने वाली वित्तीय सुविधाएँ प्रयाप्त मात्रा में नहीं हैं ।

3. किसानों को अल्पकालीन, मध्यकालीन एवं दीर्घकालीन ऋण के लिये कोई क्रमबद्ध व्यवस्था नहीं है ।

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