प्रक्षेत्र शक्ति ( Farm Power )
प्रक्षेत्र शक्ति — स्रोत एवं तुलनात्मक उपयोगिता (Farm Power : Sources and Comparative Utility )
हमारे देश में खेती में काम आने वाले शक्ति स्रोत -
किसी भी फार्म पर प्रायः निम्नलिखित कार्यों के लिये शक्ति की आवश्यकता होती है -
1 .भू-परिषकरण ( Tillage )
2 . बुवाई ( Sowing )
3 . अन्तरकृषि क्रियाएँ ( Inter culture Operation )
4 . कटाई ( Harvesting )
5 . ढुलाई ( Transportation )
6 . मड़ाई ( Threshing )
7 . ओसाई ( Winnowing )
8 . सिंचाई ( Irrigation )
9 . चारा काटना ( Chaft Cutting )
10 . गन्ना पेराई ( Cane Crushing )
11 . पींसना ( Grinding )
12 . रूई धुनना ( Cotton Ginning )
इसी प्रकार के कई अन्य कार्य भी फार्म पर करने होते हैं ।
इन सभी कार्यों को निम्नलिखित भागों में बाँट सकते हैं -
1 . खिचाव वाले कार्य ( Tractive Works )
2 . स्थिर कार्य ( Stationary Works )
1 . खिचाव वाले कार्य -
वे कार्य जिनमें शक्ति स्रोत को एक स्थान से दूसरे पर जाना पड़ता है । खिंचाव वाले कार्य कहलाते हैं । उक्त में प्रथम पाँच उदारण इस श्रेणी में आते हैं ।
2 . स्थिर कार्य -
वे कार्य जिनमें शक्ति स्रोत स्थिर रहता है , स्थिर कार्य कहलाते हैं । अन्य सभी उदाहरण इसी श्रेणी में आते हैं ।
हमारे देश में निम्नलिखित शक्ति स्रोत फार्म पर प्रयोग किये जाते हैं -
( A ) मानव शक्ति ( Human Power )
( B ) पशु शक्ति ( Animal Power )
( C ) स्थिर इंजन ( Stationary Engine )
( D ) ट्रेक्टर ( Tractor )
( E ) विद्युत शक्ति ( Electric Power )
( F ) वायु शक्ति ( Wind Power )
( G ) जल शक्ति ( Water Power or Hydraulic Power )
( H ) अणु शक्ति ( Atomic Power )
( A ) मानव श्रम या शक्ति ( Human Power ) -
भारत में कुल आबादी का 35 % कृषि कार्य में लगा है । जबकि भारत की जनसंख्या लगभग 85 करोड़ है तथा प्रत्येक मनुष्य से 0 . 1 अश्वशक्ति उपलब्ध होती है ।
अत : कुल लगभग 30 करोड़ अश्व शक्ति मानव श्रम के रूप में उपलब्ध है ।
( B ) पशु श्रम या शक्ति ( Animal Power ) -
भारत में पशु शक्ति के रूप में घोड़े गधे , हाथी , ऊंट , बैल तथा भैसे आदि पशुओं का प्रयोग किया जाता है । एक साधारण बैल में 0 . 5 से 0 . 75 तक की अश्व शक्ति मानी जाती है । भारत में लगभग 5 करोड़ अश्व शक्ति पशु शक्ति के रूप में प्राप्त होती है ।
( C ) स्थिर इंजन ( Heat Engine ) -
फार्म पर ऊष्मा इंजन प्रक्षेत्र शक्ति का एक मुख्य स्रोत है । पेट्रोल इंजन की इंधन क्षमता 25 % से 32 % तथा डीजल इंजन की 32 % से 38 % तक होती है । आजकल बाजार में अनेक प्रकार के स्थिर इंजन उपलब्ध है । जिनसे कृषि कार्यों के लिये लगभग 5 मिलियन अश्व शक्ति प्राप्त होती है ।
लाभ ( Advantage ) -
1 . कार्य क्षमता अधिक होती है ।
2 . प्रयोग न करने पर इंधन का कोई खर्च नहीं होता है।
3 . स्थिर कार्य के लिये उत्तम शक्ति स्रोत है ।
4 . कम स्थान घेरता है ।
5 . लगातार काफी समय तक प्रयोग किया जा सकता है ।
6 . भिन्न — भिन्न आवश्यकताओं के लिये भिन्न — भिन्न आकारों में उपलब्ध है ।
7 . प्रति इकाई शक्ति पर कम खर्च आता है ।
8 . आयु अधिक होती है ।
9 . ऋतुओं से अप्रभावित रहता है ।
हानियाँ ( Disadvantage ) -
1 . प्रारम्भिक कीमत अधिक होती है ।
2 . केवल स्थिर कार्यों के लिये उपयोगी होता है ।
3 . चलाने के लिये तकनीकी ज्ञान की आवश्यकता होती है ।
4 . प्रयोग किये जाने वाले इंधन की कीमत अधिक होती है ।
5 . रख — रखाव व देखभाल में अधिक खर्च आता है।
6 . खराब होने की स्थिति में कार्य प्रभावित होता है ।
7 . ईधन का संचय कठिन होता है ।
टेक्टर ( Tractor ) -
भारतीय कृषि में आजकल ट्रैक्टर एक महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त कर चुका है । वास्तव में ट्रेक्टर में स्थिर इंजन ही होता है । जिसमें कुछ विशेष सहायक भाग लगाकर ट्रेक्टर का रूप दे दिया गया है । आजकल हमारे देश में आयशर , महिन्द्रा , वीर प्रताप , स्वराज , एच० एम० टी० , हिन्दुस्तान , तथा फोर्ड आदि अनेक ट्रेक्टरों का निर्माण हो रहा है । जिनसे अनुमान के अनुसार लगभग 10 मिलियन अश्व शक्ति प्राप्त होती है
लाभ ( Advantage ) -
1 . स्थिर तथा खिंचाव वाले दोनों कार्यों के लिये सर्वोपयुक्त शक्ति स्रोत है ।
2 . कार्य क्षमता काफी अधिक होती है ।
3 . वातावरण की प्रतिकूल दशाओं का भी कार्यक्षमता पर नगण्य प्रभाव होता है ।
4 . प्रति इकाई ऊर्जा पर कम खर्च होता है ।
5 . प्रयोग न करने की दशा में कोई खर्च नहीं होता है ।
6 . लगातार अधिक समय तक प्रयोग किया जा सकता है ।
7 . कोई पुर्जा आदि खराब होने पर या टूटने पर तुरन्त ठीक किया जा सकता है या बदला जा सकता है ।
8 . आवश्यकतानुसार गति बढ़ाकर कार्य समय पर पूर्ण किया जा सकता है ।
हानियाँ ( Disadvantage ) -
1 . इसकी अति महत्वपूर्ण हानि यह है कि इसकी प्रारम्भिक कीमत बहुत ऊंची है जिसे हमारे देश का साधारण किसान वहन नहीं कर सकता है ।
2 . चलाने के लिये तकनीकी रूप से कुशल व्यक्ति की आवश्यकता होती है । जिनकी हमारे देश में कमी है ।
3 . महंगे ईधन की आवश्यकता होती है ।
4 , मरम्मत व रख — रखाव पर अधिक खर्च होता है ।
5 . कभी — कभी समय पर ईधन उपलब्ध न होने पर ट्रेक्टर बेकार खड़ा रहता है । जबकि इसकी आवश्यकता अत्यधिक होती हैं ।
6 . आवश्यक पुर्जा आदि न मिलने पर काफी परेशानी होती है ।
7 . खराब होने पर सारा कार्य ठप्प हो जाता है ।
लाभ ( Advantage ) -
1 . प्रति इकाई न्यूनतम खर्च पर उपलब्ध ।
2 . कार्यक्षमता अत्यधिक होती है ।
3 . देखभाल व रख — रखाव पर बहुत कम खर्च होता है ।
4 . काफी समय तक लगातार कार्य कर सकती है ।
5 . उपकरणों के लिये न्यूनतम स्थान की आवश्यकता होती है ।
6 . कार्य न होने की दशा में कोई खर्च नहीं होता ।
7 . ऋतुओं से अप्रभावित रहती है ।
8 . विभिन्न गतियों पर कार्य कर सकती है ।
9 . शक्ति स्रोत चलने पर कोई आवाज नहीं होती
हानियाँ ( Disadvantage ) -
1 . प्रारम्भिक लागत अधिक होती है ।
2 . आवश्यकता के समय विद्युत उपलब्ध न होने पर फार्म का कार्य प्रभावित होता है ।
3 . सावधानी पूर्वक प्रयोग न काने पर कोई बड़ी दुर्घटना भी हो सकती है
लाभ ( Advantage ) -
1 . प्राकृतिक देन है । अतमः आरम्भिक लागत के उपरान्त कोई विशेष खर्च नहीं होता है ।
2 . ऋतुओं का कोई प्रभाव नहीं होता है ।
3 . हवा के उपलब्ध होने की दशा में लगतार काफी समय तक कार्य लिया जा सकता है ।
हानियाँ ( Disadvantage ) -
1 . वायु वेग व वायु की दिशा पर कोई नियन्त्रण नहीं होता है ।
2 . यह आवश्यक नहीं कि आवश्यकता की समय शक्ति उपलब्ध हो सके ।
3 . कार्य क्षमता कम तथा अनियन्त्रित होती है ।
निम्नलिखित सूत्र की सहायता से जल शक्ति की मात्रा ज्ञात कर सकते हैं
WH PWXDXVXHx624 1 . 33000 यहाँ WH . P = जल अश्व शक्ति W = नदी की औसत चौड़ाई ( फुट में ) | D = नदी की गहराई ( फुट में ) v = जल का वेग ( फुट प्रति मिनट में ) । H — नदी का औसत जल शीर्ष ( फुट में )
लाभ ( Advantage ) -
1 . न्यूनतम खर्च पर प्राप्त की जा सकती है ।
2 . मौसम की प्रतिकूल दशाओं से अप्रभावित रहती है ।
3 . उपयोग न होने की दशा में कोई खर्च नहीं होता ।
हानियाँ ( Disadvantage ) -
1 . अनियन्त्रित होती है ।
2 . यदि जल की ग िकम हो तो प्राप्त नहीं की जा सकती ।
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