प्राकृतिक वनस्पति (Natural vegetation in hindi)
प्राकृतिक वनस्पति क्या है, वनस्पति कितने प्रकार की होती है एवं उनकी विशेषताएं क्या है? Natural vegetation in hindi, types of vegetation and characteristics
प्रकृति ने भूमि पर जीवन को अत्यन्त विविधतापूर्ण रूप में प्रस्तुत किया है ।
प्रकृति की यह विविधता भारत की प्राकृतिक वनस्पति (Natural vegetation in hindi) में भौगोलिक वितरण एवं भू — उत्पादक ऊर्वरता के आधार पर दिखाई देती है ।
वस्तुत: विभिन्न पर्यावरणीय क्षेत्रों में भिन्न — भिन्न प्रकार की वनस्पतियाँ (types of vegetation) उगती एवं उगाई जा सकती है ।
कतिपय वनस्पतियाँ केवल एक ही प्रकार के पर्यावरणीय क्षेत्र में उगायी जा सकती हैं, जबकि कतिपय अन्य अनेक पर्यावरणीय क्षेत्रों में प्राकृतिक वनस्पति (Natural vegetation in hindi) उगाई जा सकती हैं ।
भारत में पाई जाने वाली प्राकृतिक वनस्पति
प्राकृतिक वनस्पति क्या है? Natural vegetation in hindi
जो वनस्पति (Vegetation in hindi) अनेक प्रकार के पर्यावरणीय क्षेत्रों में उगायी जा सकती हैं, वे तुलनात्मक रूप से पर्यावरण में अधिक अनुकूलन क्षमता रखती हैं ।
प्राकृतिक वनस्पति (Natural vegetation in hindi) — पर्यावरण की तेजी से बदलती हुई दशाओं में ऐसी ही वनस्पतियों की अधिक आवश्यकता भी है, जो बदलते हुए पर्यावरण से तेजी से सामन्जस्य स्थापित कर लें ।
आज विश्व के अनेक वन्य, कृषि एवं पर्यावरण वैज्ञानिक इस दिशा में कार्य एवं अनुसंधान कर रहे हैं ।
यद्यपि कृषि वानिकी (Agro forestry in hindi), कृषि एवं पर्यावरण का यह एक अति नवीन क्षेत्र है तथापि अत्याधिक क्षमताओं से भरा हुआ है ।
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वनस्पति कितने प्रकार की होती है? Types of Vegetation
1. हिमालय में रोडोडोण्ड्रम मेखला,
2. पश्चिम में चीड़,
3. दक्षिणी भारत में बांस और
4. राजस्थान के मरुस्थलीय क्षेत्रों में शुष्क झाड़ियाँ और वृक्षा दक्षिणी भारत के तटीय भागों में बिखरे हुए रूप में ताड़, नारियल तथा सुपारी के वृक्ष भी मिलते हैं ।
वर्षा की मात्रा के अनुसार वनस्पति ( Vegitation accorting to Rainfall )
( 1 ) जहाँ 200 सेण्टीमीटर से अधिक वर्षा होती है वहाँ सदैव हरे — भरे रहने वाले चौड़ी पत्ती के वन (forest in hindi) पाए जाते हैं । ये वन विषुवत रेखीय वनों के अनुरूप होते हैं । इनमें लताएँ, गुल्म, झाड़ियाँ, आदि अधिक सघन होती है । यहाँ के मुख्य वृक्ष रबर, महोगिनी, सिन्कोना, गट्टापार्चा, ताड़ आदि हैं ।
( 2 ) 100 से 200 सेण्टीमीटर वर्षा वाले भागों में मानसूनी वन (forest in hindi) मिलते हैं जिनकी चौड़ी पत्तियाँ ग्रीष्म ऋतु में सूख जाती हैं किन्तु वर्षा के पूरी तरह आरम्भ होने से कुछ ही पहले इनमें फूल और पत्तियाँ निकल आती हैं । ये वन (forest in hindi) अधिक खुले होते हैं, केवल बांस के वृक्षों के नीचे ही घनी वृद्धि हो सकती है । इन वनों में मुख्यतः साल, सागवान, रोजवुड, पाइन, आ दि वृक्ष अधिक होते हैं ।
( 3 ) 50 से 100 सेण्टीमीटर वर्षा के भागों में कंटीली झाड़ियों और छोटे वृक्षों वाले वन (forest in hindi) पाए जाते हैं क्योंकि यहाँ भूमि इतनी शुष्क होती है कि इसमें यथेष्ट वृक्षों की उत्पत्ति नहीं होती । कंटीली झाड़ियाँ भूमि पर दूर — दूर उगती हैं । इनके बीच की भूमि वर्ष के आधे भाग में खाली रहती है किन्तु वर्षा ऋतु में हरी घास और छोटी झाड़ियों से ढक जाती है । यहाँ बबूल, खेजड़ा प्रोसोपिस, आदि झाड़ियाँ अधिक उगती हैं ।
( 4 ) 50 सेण्टीमीटर से कम वर्षा के क्षेत्र में अर्द्ध — मरुस्थलीय वनस्पति (Vegetation in hindi) मिलती है । जलवायु और भौतिक परिस्थितियों में अन्तर होने के कारण भारत में शीतोष्ण और उष्ण कटिबन्धीय दोनों ही प्रकार की वनस्पतियाँ मिलती हैं । 78 लाख हैक्टेअर भूमि पर कोणधारी वन (forest in hindi) तथा 672 लाख हैक्टेअर भूमि पर चौड़ी पत्ती वाले वन फैले हैं, अर्थात् कुल वन प्रदेशों का 7 प्रतिशत शीतोष्ण वन ( 3 प्रतिशत कोणधारी और 4 प्रतिशत चौड़ी पत्ती के वन ) और 94 प्रतिशत उष्ण कटिबन्धीय वनों के अंतर्गत ( 80 प्रतिशत मानसूनी वन, 12 प्रतिशत सदाबहार वन और 1 प्रतिशत अन्य वन ) हैं ।
भारत की प्राकृतिक वनस्पति का भौगोलिक वितरण ( Natural Vegetation of India Geographical Distribution )
भौगोलिक दृष्टि से भारत का अधिकांश भाग उष्ण — कटिबन्धीय है, अपवाद स्वरूप कुछ भाग समुद्र तट से अधिक ऊँचे होने के कारण शीत शीतोष्ण — कटिबन्ध में गिने जा सकते हैं ।
इन दोनों के मध्य का क्षेत्र शीतोष्ण — कटिबन्धीय जलवायु को प्रदर्शित करता है ।
भारत में मानसूनी जलवायु है, किन्तु वर्षा का वितरण अत्यधिक असमान है । कुछ भागों में वर्षा औसत से भी अधिक हो जाती है जबकि अन्य भाग प्राय: सूखे ही रहते हैं ।
भूमि की प्रकृति और जलवायु में भिन्नता होने से भारत में विभिन्न प्रकार की प्राकृतिक वनस्पति (Natural vegetation in hindi) मिलती है ।
वर्षा की मात्रा और वितरण भी देश में पाई जाने वाली वनस्पति (Vegetation in hindi) का निर्णय करते हैं ।
प्राकृतिक वनस्पति (Natural vegetation in hindi) झाड़ियाँ, घास के मैदानों अथवा जंगलों का रूप लेती है ।
3,750 मीटर ऊँचे क्षेत्रों में सामान्यतः पर्वतीय वनस्पति (Vegetation in hindi) पाई जाती है । इससे नीचे 2,000 से 3,500 मीटर तक शीतोष्ण एवं पतझड़ तथा संकुल वनों की मिश्रित वनस्पति मिलती है ।
पहाड़ियों के निचले भागों और मैदानों में उष्णकटिबन्धीय वनस्पति होती है और यही सामान्यत: कुछ स्थानीय अन्तरों के कारण देश के सभी भागों में फैली है ।
राजमहल की पहाड़ियों के निकट गंगा के पश्चिमी मोड़ पर शुष्क वनस्पति मिलती है और अधिक पश्चिम में यह पूर्णत: पत्तों रहित कंटीली झाड़ियों का रूप ले लेती है ।
पूर्व की ओर जहाँ वर्षा अधिक होती है, सदाबहार तथा घने वृक्ष पाए जाते हैं । अत: भारत में मोटे तौर पर वन वर्षा का अनुसरण करते हैं ।
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Originally published at https://www.agriculturestudyy.com on September 10, 2020.