बहु प्रकारीय खेती क्या है इसके लाभ एवं दोष

Agriculture Studyy
4 min readNov 5, 2019

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बहु प्रकारीय खेती क्या है इसके लाभ एवं दोष ( What are the advantages and disadvantages of multifarious farming )

बहु प्रकारीय खेती क्या है इसके लाभ एवं दोष

बहु प्रकारीय खेती क्या है ( What is Diversified Farming )

जिस फार्म पर किसी एक साधन या उद्यम ( Enterprise ) से आय , सम्पूर्ण फार्म की आय का 50 प्रतिशत से कम होती है , उसे बहुप्रकारीय ( Diversified ) या सामान्य ( General ) Farm कहते हैं ।

इस प्रकार के फार्म पर की जाने वाली कृषि को बहुप्रकारीय खेती ( Diversified Farming ) कहते हैं । इस प्रकार के फार्मों पर कृषक आय के अनेक साधनों पर निर्भर रहता है ।

फार्म पर प्रत्येक उद्यम ( Enterprise ) कल फार्म की आय के 50 प्रतिशत से कम ही कम आय प्रदान करता है ।

बहु प्रकारीय खेती को निम्नांकित चित्र द्वारा दर्शाया गया है -

बहु प्रकारीय खेती के क्या लाभ है ( What are the benefits of Diversified farming )

बहु प्रकारीय खेती के निम्न लाभ हैं

( 1 ) भूमि , श्रम व पूँजी का सदुपयोग -

यहाँ खेती की वैज्ञानिक विधियाँ व उचित फसल — चक्र अपनाने के कारण भूमि का सदुपयोग हो जाता है । फार्म पर विभिन्न प्रकार के कार्यों के होने से श्रम तथा पूँजी का भी उचित CROPS FRUIT FARMING प्रयोग होता रहता है ।

( 2 ) कम जोखिम ( Reduced Risk ) -

फसल नष्ट POULTRY DAIRYING होने या किसी उद्यम ( Enterprise ) के भाव गिरने से व्यापार जोखिम कम हो जाता है ।

( 3 ) उपफल ( By — products ) का उचित प्रयोग -

उप — फलों का समुचित उपयोग हो जाता है । फार्म पर फसल उत्पादन तथा पशुपालन प्रत्येक को पारस्परिक लाभ देते हए साथ — साथ चलाये जाते हैं ।

( 4 ) विभिन्न उद्यमों ( Enterprises )

से आय शीघ्र तथा नियमित रूप से मिलती रहती है ।

( 5 ) फार्म यन्त्रों का आर्थिक दृष्टि से उचित प्रयोग होता है ।

( 6 ) नये सिरे से कृषि व्यवसाय प्रारम्भ करने वाले मनुष्यों के लिये खेती की यह विधि उत्तम है . क्योंकि यहाँ पर जोखिम कम होती है । अधिक जनसंख्या की आवश्यक आवश्यकताओं की पूर्ति के लिये यह उत्तम है ।

( 8 ) कृषक को विभिन्न उद्यमों ( Enterprises ) के उत्पादन की कृषि -

क्रियाओं के विषय में अधिक ज्ञान प्राप्त करने का अच्छा अवसर मिल जाता है ।

बहु प्रकारीय खेती के निम्न दोष है

( 1 ) विभिन्न उद्यमों ( Enterprises ) से उत्पादन

थोड़ी — थोड़ी मात्रा में प्राप्त होता है , अत : यहाँ उत्पादन हेतु सामग्री खरीदने व उत्पादित माल को बेचने का कार्य दक्षतापूर्वक नहीं हो पाता जब तक कि उत्पादक अपनी वस्तु की बिक्री की व्यवस्था सहकारी आधार पर नहीं करता ।

( 2 ) विविध खेती में विभिन्न कार्य ( jobs ) होने के कारण कृषक केवल कुछ ही श्रमिकों का कुशलतापूर्वक निरीक्षण कर सकता है ।

( 3 ) फार्म पर उत्तम प्रकार के उपकरण रखना सम्भव नहीं होता है , क्योंकि प्रत्येक उद्यम ( Enterprises ) के लिये अधिक खर्चीले यन्त्र तथा मशीन ( Implements and machines ) रखना आर्थिक दृष्टि से ठीक नहीं होता ।

( 4 ) विभिन्न कार्यों के झमेले से फार्म -

व्यवस्था सम्बन्धी कुछ त्रुटियों ( Leaks ) का पता नहीं चल पाता ।

( 5 ) विविधिकरण की चरम सीमा पर विभिन्न उद्यमों ( Enterprises ) में आपस में एक ही समय मजदूर व यन्त्रों के लिये प्रतियोगिता हो जाती है तथा ऐसी परिस्थितियों में किसी एक व्यवसाय की उपेक्षा करनी पड़ती ।

( 6 ) छोटे — छोटे अधिक व्यवसाय होने के कारण कृषक का कम अवकाश मिल पाता है । भारतीय परिस्थितियों के अन्तर्गत विविध कृषि के लाभ , विशिष्ट खेती पर विचार करने के लिये कोई स्थान नहीं छोड़ते ।

अमेरिका में भी जहाँ विशिष्ट खेती के निश्चित क्षेत्र हैं , जैसे — गेहूँ की पट्टी ( Wheat belt ) , मक्का की पट्टी ( Maize belt ) , कपास की पट्टी ( Cotton belt ) आदि , वहाँ भी विविध खेती की ओर झुकाव बढ़ रहा है ।

कपास की पट्टी में भी कृषि व्यवसाय संगठन में कपास के साथ अतिरिक्त व्यवसाय का समायोजन करके इकहरी फसल प्रणाली की अपेक्षा अधिक लाभ प्राप्त किया गया है ।

भारत में विविध खेती के रूप में फसल व दुग्धोत्पादन अधिक प्रचलित व प्रसिद्ध है , क्योंकि इसके द्वारा भूमि , श्रम व पूँजी का समुचित उपयोग होता है तथा मौसम , बाजार के दुष्परिणामों का कम प्रभाव पड़ता है ।

एक अंग्रेजी कहावत के अनुसार “ एक चतर किसान वह है जो कि विविधिकरण ( Diversification ) को अपनाता है , मुर्गी के सम्पूर्ण अंडों को एक ही टोकरे में नहीं रखता और जो फसलों को हेर — फेर कर उगाता है ।

“ भारतीय परिस्थितियों में विविध खेती में विशिष्ट खेती की अपेक्षा अधिक लाभ हैं तथा इसके विकास की काफी गुंजाइश है ।

Originally published at https://www.agriculturestudyy.com on November 5, 2019.

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