बीज ओज क्या है इसे प्रभावित करने वाले कारक एवं बीज ओज परीक्षण की विधियां
बीज ओज (seed vigour in hindi) बीज के उन सभी गुणों के योग को प्रदर्शित करती है ।
जो कि खेत में प्रतिकूल परिस्थितियाँ होने पर भी पौधे की स्थिरता के लिए उपयुक्त होती है ।
बीज ओज की परिभाषा — “बीज की शरीर क्रियात्मक क्षमता से है जो कि अंकुरण तक पौधे की स्थिरता के लिए पर्याप्त होती है ।”
बीज ओज से बीज की अंकुरण क्षमता तथा स्थिर रहने की क्षमता का निर्धारण होता है ।
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बीज ओज को प्रभावित करने वाले कारक (Factors affecting seed vigour in hindi)
बीज ओज को निम्नलिखित कारक प्रभावित करते है -
1. आनुवंशिक संरचना ( Genetical structure ) -
प्रत्येक जाति की आनुवंशिक विभिन्न प्रकार की होती है जो कि उसके आकारिक (morphological) एवं रासायनिक (chemical) गुणों का निर्धारण करती है ।
बीज ओज मुख्यत: बीज की आकारिक एवं रासायनिक गुणों द्वारा प्रभावित होती है ।
उदाहरणत: सोयाबीन की ‘बैग’, ‘ली’ तथा ‘अंकुर’ किस्मों की बीज ओज ‘कलार्क -63’ से अधिक होती है ।
2. काल प्रभावन ( Aging ) -
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पूर्ण शरीर क्रियात्मक परिपक्वता प्राप्त किये हुये बीज की अवस्था में बीज ओज सर्वाधिक होती है ।
जैसे बीज की आयु बढ़ती है उनमें शरीर क्रियात्मक एवं रासायनिक परिवर्तन होते रहते है तथा आकारिक ह्रास होता है जिसके फलस्वरूप बीज ओज घटती है ।
3. परिपक्वता ( Maturation ) -
सामान्य परिस्थितियों में पूर्ण परिपक्व बीज की बीज ओज अधिकतम होती है ।
अपरिपक्व बीजों की बीज ओज अति अल्प होती हैं ।
अपरिपक्व अवस्था में संलवन किये बीजों का विकास पूरा नहीं होता है ।
सामान्यत: ऐसे बीज सुकड़े हुये होते हैं ।
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Originally published at https://www.agriculturestudyy.com on February 1, 2021.