भारत में वन संसाधन संरक्षण के उपाय एवं वनों का विकास

Agriculture Studyy
3 min readOct 31, 2020

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पर्यावरण प्रकृति का मानव को अमूल्य उपहार है ।

वर्तमान में पर्यावरण प्रदूषण की भारी चपेट में है ।

इसे प्रदूषण मुक्त कर संरक्षण प्रदान करने के लिए वन संसाधनों का संरक्षण के उपाय एवं उनका विकास है ।

वन (forest in hindi) विहीन पर्यावण की कल्पना ही निरर्थक है ।

वन संरक्षण एवं विकास के पुन: स्थापना से भूमि का कटाव रुकेगा, वनों के संरक्षण से प्रत्येक क्षेत्र के इकोतन्त्र का जैव विकास विशेष आवास के अनुसार विकसित हो सकेगा ।

भारत में वनों के संरक्षण एवं विकास के लिए अनके प्रकार के उपाय अब तेजी से प्रभावी होते जा रहे हैं ।

भारत में वन संसाधन संरक्षण के उपाय एवं वनों का विकास

वन (forest in hindi) हमारी राष्ट्रीय सम्पत्ति है ।

इसका चक्रीय संसाधनों की भांति निरन्तर विकास एवं संरक्षण दोनों ही आवश्यक है ।

वनों के संरक्षण के लिए भारत में क्षेत्रवार एवं राष्ट्रीय स्तर पर अनेक प्रकार से प्रयास पांचवी योजना से ही किए जाते रहे है ।

पारिभाषिक रूप में पर्यावरण वे कारक हैं, जो हमारे चारो ओर उपस्थित हैं ।

रूप से — पृथ्वी, जल, आकाश, वायु एवं अग्नि इन पाँच अमूल्य भौतिक तत्वों से पर्यावरण का निर्माण हुआ है ।

जबकि स्थूल रूप में हवा, पानी, मिट्टी, पेड़ — पौधों एवं जीव — जन्तुओं के रूप में पर्यावरण हमारे बाहरी परिवेश का निर्माण करता है ।

भारत ने इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए पंचवर्षीय योजनाओं को वृहद पैमाने पर प्रयुक्त किया है ।

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वन संसाधन संरक्षण की क्या आवश्कता है?

पर्यावरण वृहत् अर्थों वाला शब्द है ।

भौतिक पर्यावरण सकल पर्यावरण जगत का नियामक एवं आधार है ।

भौतिक पर्यावरण के सन्तुलित स्वरूप में जैविक तत्त्वों के अंतर्गत वनस्पति एवं प्राणी जगत आते हैं ।

किन्तु स्वयं प्राणी जगत भी तकनीकी अर्थों में उपभोक्ता है और वह आधार भूत उत्पादक या वनस्पति पर ही निर्भर है ।

इस प्रकार मानव एवं स्थान विशेष के पर्यावरण के भौतिकीय सन्तुलन एवं भौतिक पर्यावरण के जैव जगत का आधार प्राकृतिक वनस्पति या प्राथमिक उत्पादक हैं ।

क्योंकि वनस्पति पर ही सभी प्रकार के शाकाहारी जीव निर्भर करते हैं ।

शेष सफल जैव जगत एवं सम्पूर्ण अणु जैव जगत ( कवक, अपघटक, कीटाणु, विषाणु एवं जीवाणु आदि ) सभी शाकाहारी प्राणियों, अन्य प्राणियों, वनस्पति एवं मृत अवशेषों पर निर्भर हैं ।

वन संसाधन संरक्षण के उपाय ( Remedies of Forest Protection in hindi )

वनों के संरक्षण एवं विकास हेतु निम्न सुझाव प्रमुख रूप से उपयोगी हैं -

( 1 ) देश के सभी भागों में राष्ट्रीय पार्को एवं अभयराण्यों की संख्या में निरन्तर वृद्धि की जानी चाहिए । प्रति बड़े राज्य में 3 से 5 वर्षों में एक राष्ट्रीय पार्क एवं सभी जिलों में से प्रत्येक जिले में नवीन अभयारण्यों का निरन्तर विकास किया जाना चाहिए । इसे राष्ट्रीय नीति का अंग बनाया जाए ।

( 2 ) देश के सभी भागों में जलवायु एवं भू — व्यवस्था व धरातल स्वरूप के अनुसार निर्धारित वनस्पति तन्त्र अथवा विशेष क्षेत्र में आरक्षित वन क्षेत्रों व नम पट्टियों का विकास किया जाए । ऐसे क्षेत्रों के वनों के संरक्षण का उत्तरदायित्व भी विशिष्ट स्तर पर निर्धारित किया जाए ।

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Originally published at https://www.agriculturestudyy.com on October 31, 2020.

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