वनस्पति जगत का आधुनिक वर्गीकरण ( Modern classification of flora )

Agriculture Studyy
5 min readMay 28, 2020

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वनस्पति जगत का आधुनिक वर्गीकरण [ Modern classification of flora ( based on Oswald Tippo, 1942 ) ]

Classification of plant world

वनस्पति जगत ( पादप जगत ) का वर्गीकरण ( Classification of plant world )

इस वर्गीकरण के अनुसार पूरा वनस्पति जगत ( kingdom — plantae ) केवल दो उपजगतों में बाँटा गया है

1. उपजगत — थैलोफाइटा ( thallophyta )

2. उपजगत — एम्ब्रयोफाइटा ( embryophyta )

इन पौधों में निम्नलिखित लक्षण पाये जाते हैं -

( i ) पौधों का शरीर सूकायकी ( thalloid ) होता है अर्थात् जड़ , तना , पत्ती इत्यादि में भिन्नित नहीं होता । एककोशिकीय पौधों से लेकर विशाल बहुकोशिकीय पौधे इस समूह में आते हैं ।

( ii ) अलैंगिक जनन प्राय : चलबीजाणुओं ( zoospores ) द्वारा होता है ।

( iii ) इन पौधों में भ्रूण नहीं होता । जीवन चक्र में बनने वाला युग्मनज ( zygote ) अर्द्धसूत्री विभाजन ( meiosis ) के द्वारा सीधे ही पौधे को जन्म देता है ।

उपजगत थैलोफाइटा दस संघों में बाँटा गया है पुराने वर्गीकरण के शैवाल ( algae )

1 . सायनोफाइटा ( cyanophyta ) — नीले — हरे — जैसे नास्टॉक ( Nostoc )

3 . क्लोरोफाइटा ( chlorophyta ) — हरे — जैसे — वॉलवॉक्स ( Volvox )

4 . क्राइसोफाइटा ( chrysophyta ) — पीले — हरे — जैसे — डाइएटम ( diatoms )

5 . पाइरोफाइटा ( pyrrophyta ) — सुनहरे — भूरे — जैसे — जिम्नोडिनियम

6 . फीयोफाइटा ( phaeophyta ) — भूरे — जैसे — फ्यूकस ( Fucus )

7 . रोडोफाइटा ( rhodophyta ) — लाल — जैसे — पॉलीसाइफोनियम ( Polysiphonia ) पुराने वर्गीकरण के कवक ( fungi )

उपर्युक्त दस संघों में से पहले सात संघ , शैवाल ( algae ) कहे जाते रहे हैं । ये पौधे क्लोरोफिलयुक्त थैलोफाइटा ( chlorophyllous thallophyta ) हैं

इनमें निम्नलिखित समान लक्षण होते हैं -

( i ) स्वपोषी ( autotrophic ) हैं प्रकाश संश्लेषण ( photosynthesis ) करते हैं । जाति maraditoनशा शिकाम क evolutionary senience )

( ii ) सभी पौधे सामान्यत : जल ( लवणीय तथा अलवणीय ) में निवास करते हैं ।

( iii ) पादप शरीर की संरचना प्रायः सरल होती है । किसी प्रकार के ऊतकों ( tissues ) की भिन्नता नहीं होती ।

( iv ) पौधे युग्मकोद्भिद् ( gametophyte ) होते है ।

थैलोफाइटा के दस संघों में अन्तिम तीन संघ कवक कहे जाते रहे हैं तथा ये पौधे पर्णहरिम रहित ( non — chlorophyllous ) थैलोफाइटा हैं ।

इनमें निम्नलिखित समान लक्षण पाये जाते हैं -

( i ) ये परपोषी ( heterotrophic ) होने है । अपने पोषण के लिए विभिन्न रीतियाँ अपनाते हैं जैसे कुछ मृत कार्बनिक पदार्थों से भोजन प्राप्त करते हैं — मृतजीवी ( saprophytes ) ; कुछ दूसरे जीवों से पोषण प्राप्त करते हैं -
परजीवी ( parasites ) ; कुछ भोजन के लिए चाहे दूसरों पर आश्रित रहते हैं किन्तु बदले में कुछ आवश्यक पदार्थ पोषक को उपलब्ध कराते हैं — सहजीवी ( symbiotics ) अधिकतर कार्बनिक पदार्थों का उपघटन कर सरल यौगिको में बदलते रहते हैं , अपघटनकर्ता ( decomposers ) हैं ।

( ii ) विश्वव्यापी है तथा सभी परिस्थितियों में मिलते हैं , विशेषकर नम तथा गर्म वातावरण में जहाँ अन्य जीव रहते हैं ।

( iii ) शरीर संरचना सरल और सूत्रों या धागों के समान कवकसूत्रों की बनी होती है जिसे कवकजाल ( mycelium ) कहा जाता है ।

( iv ) जनन अनेक विधियों से होता है और किसी न किसी प्रकार के बीजाणु ( spores ) बनते हैं ।

उपजगत II — एम्ब्रयोफाइटा ( subkingdom Embryophyta ) -

इस पादप समुदाय में थैलोफाइटा को अपेक्षा अधिक विकसित पौधे रखे गये हैं ।

इनमें निम्नांकित लक्षण पाये जाते हैं -

( i ) युग्मनज से एक बहुकोशिकीय बीजाणुजनक ( sporophyte ) का परिवर्द्धन होता है अत : भ्रूण ( embryo ) अवश्य बनता है ।

( ii ) पादप शरीर की सभी कोशिकाओं ( cells ) का कार्य एक जैसा नहीं होता ।

( iii ) लैंगिक अंग बहुकोशिकीय होते हैं अर्थात् युग्मक सदैव बन्ध्य ( sterile ) कोशिकाओं के आवरण से ढकी अवस्था में बनते हैं ।

( iv ) पीढ़ी एकान्तरण ( alternation of generations ) स्पष्ट होता है ।

उपजगत एम्ब्रयोफाइटा ( embryophyta ) को केवल दो ही संघों में बाँटा गया है -

11 . बायोफाइटा तथा

12 . ट्रैकियोफाइटा संघ

11 . बायोफाइटा ( phylum 11 . bryophyta ) इस संघ के पौधों में निम्नलिखित लक्षण पाये जाते है 6 ये पौधे क्लोरोफिल युक्त होते हैं ।

( i ) अत : स्वपोषी ( autotrophic ) होते हैं ।

( ii ) शरीर संरचना प्राय : थैलस ( thallus ) के नाम से पुकारी जाती है तथा पौधे परिमाप में प्रायः छोटे होते है ।

( iii ) प्राय : नम , ठण्डे तथा छायादार स्थानों में उगते है ।

( iv ) शरीर में संवहन ऊतक नहीं होती । जड़ के स्थान पर एककोशिकीय या बहुकोशिकीय सूत्रवत् संरचनायें राइजोइड्स ( rhizoids ) पायी जाती हैं ।

( v ) पौधा युग्मकोद्भिद् ( gametophyte ) होता है किन्तु बीजाणुजनक ( sporophyte ) पीढ़ी भी स्पष्ट होती है ( कभी — कभी काफी विकसित होती है ।

अत : पीढ़ी — एकान्तरण स्पष्ट क्रिया है । संघ ब्रायोफाइटा को तीन वर्गों ( classes ) में विभाजित किया गया है -

B . एन्थोसिरॉटी ( anthocerotae )

संघ 12 . ट्रैकियोफाइटा ( phylum 12 . trachaeophyta )

यह संघ संवहन ऊतकों के आधार पर पहचाना जाता है ।

इसमें निम्नांकित लक्षण होते हैं -

( i ) संवहन ऊतक ( vascular tissue ) -

दारु ( xylem ) तथा अधोवाही ( phloem ) स्पष्ट होते हैं ।

( ii ) शरीर जड़ , तना तथा पत्तियों में बँटा रहता है ।

( iii ) यह पौधे बीजाणुजनक होते हैं ।

( iv ) युग्मकोद्भिद् छोटा होता है ( अधिक विकसित पौधों में अत्यन्त छोटा होता जाता है ) ।

पीढ़ी एकान्तरण प्राय : स्पष्ट होता है ।

संघ — ट्रैकियोफाइटा को निम्नांकित उपसंघों में विभाजित किया गया है -

( a ) साइलॉप्सिडा ( psilopsida )

( b ) लाइकॉप्सिडा ( lycopsida )

( c ) स्फैनॉप्सिडा ( sphenopsida )

( d ) टेरॉप्सिडा ( pteropsida )

उपर्युक्त में से पहले तीन उपसंघ पुराने वर्गीकरण के अनुसार टेरिडोफाइटा ( pteridophyta ) समूह में आते हैं ।
इनमें केवल एक — एक वर्ग है ।

ये हैं साइलोफाइटिनी ( psilophytineae ) , लाइकोपोडिनी ( lycopodineae ) तथा इक्वीसिटिनी ( equisetineae ) । चौथा उपसंघ — टेरॉप्सिडा तीन वर्गों में बाँटा गया है -

1 . फिलीसिनी ( filicineae ) -

2 . जिम्नोस्पर्मी ( gymnospermae ) -

3 . एन्जिओस्पर्मी ( angiospermae ) -

( phanerogams ) के भाग थे । दन वर्गों का आगे भी वर्गीकरण किया गया है । एन्जिओस्पर्मी अर्थात् आवृत बीजी पौधों ( angiospermae ) का एक बहुत बड़ा समूह है ।

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