विदेशी नस्लों की गाय एवं उनकी पहचान
विदेशी नस्लों की गाय एवं उनकी पहचान
दूध उत्पादन वृद्धि के लिए भारत में विदेशी नस्लों की गाय (Exotic breeds of cows in india) मुख्य रूप से प्रयोग में लाई जाती है।
विदेशी नस्लों की गाय (Exotic breeds of cows) जो मुख्य रूप से पाली जाती है, वे दुधारू गाय की नस्ल (Milch Breeds) एवं मांसार्थ नस्लें (Meat purpose) है, जिनकी पहचान के शारीरिक लक्षण स्पष्ट दिखाई देते हैं ।
विदेशी नस्ल की गाय का वैज्ञानिक नाम
विदेशी गाय का वैज्ञानिक नाम — ‘बोस टोरस Bos taurus’
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विदेशी नस्ल की गाय की उत्पत्ति कैसे हुई?
नस्ल की गाय की उत्पत्ति सर्वप्रथम सैनिक डेरी फार्मों पर शॉर्टहार्न, आयरशायर तथा होल्स्टीन — फ्रीजियन नस्लों का संकरण के लिये प्रयोग किया गया ।
इसके पश्चात् अन्य विदेशी नस्लों जैसे जर्सी, ब्राउनस्विश, गर्नसी, जर्मन फ्लेवीह ( चितकबरे पर्वतीय पशु ) तथा रेडडेन इत्यादि का समावेश किया गया ।
जर्सी, होल्स्टीन — फ्रीजियन तथा ब्राउनस्विश नस्लों की काफी मांग बढ़ी है । जर्सी नस्ल के सांडों के प्रवर्धन तथा संकरण एवं विदेशी नस्लों के उन्नत यूथों के प्रजनन हेतु भारत में विभिन्न पर्वतीय तथा अर्द्धपर्वतीय स्थानों पर लगभग 20 प्रजनन फार्म स्थापित किये जा चुके हैं सैनिक फार्मों पर ऐसे पशुओं के 3,500 यूथ हैं ।
जहाँ इनके दुग्धकाल का अधिकतम दुग्धोत्पादन 6,000 किग्रा तथा औसत उत्पादन 2,600 किग्रा रहा है । एक गाय का एक दिन का अधिकतम दुग्ध उत्पादन 46 किग्रा तक आंका गया है ।
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Originally published at https://www.agriculturestudyy.com on August 10, 2020.