सामाजिक वानिकी क्या है इसके प्रकार, उद्देश्य एवं इसका महत्व व कार्य क्षेत्र
सामाजिक वानिकी (social forestry in hindi) रोजगार बढ़ाने एवं निर्धनता दूर करने में भी अपना महत्वपूर्ण योगदान देती है ।
वास्तव में, वन ऐसे प्राकृतिक साधन है, जिनका मानवीय सहयोग से कुछ सीमा तक नवीनीकरण किया जाना संभव है ।
भारत में सामाजिक वानिकी (social forestry in india) से ग्राम वासियों के साथ-साथ नगर वासियों को भी समुचित लाभ होता है तथा उनकी वन्य आवश्यकता है, जैसे — फर्नीचर एवं माचिस उद्योग के लिए लकड़ी की नियंत्रित पूर्ति होती है ।
अतः इससे स्पष्ट है, कि वनों से बाहर समाजिक आर्थिक उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए किया गया वनीकरण, वानिकी के कार्य, सामाजिक वानिकी (social forestry in hindi) कहलाता है ।
सामाजिक वानिकी (social forestry in hindi) के अंतर्गत वृक्षारोपण अधिकांशतः वन सीमा के बाहर बंजर भूमि एवं कृषि भूमि के रिक्त स्थानों जैसे — खेतों की मेड़ आदि पर किया जाता है ।
सामाजिक वानिकी की परिभाषा Defination of Social forestry in hindi
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सामाजिक वानिकी को निम्न प्रकार परिभाषित किया गया है -
( 1 ) वेस्टौबी ( Vestrobi ) के कथनानुसार,
“सामाजिक वानिकी वह वानिकी है जिसका प्रारम्भ समुदाय के संरक्षणात्मक एवं मनोरंजनात्मक लाभ के उद्देश्य से किया गया है ।”
( “Social forestry is forestry which aims at producing flow of protection and recreation benefits for the community.” Commonwelth Cogress on Forestry, New Delhi, 1968 )
( 2 ) सीताराम राव के कथनानुसार,
“वानिकी वह सिद्धान्त तथा व्यवहार है जिसके द्वारा वनों की देखभाल की जाती है तथा वन से प्राप्त होने वाली वस्तुओं का उपयोग किया जाता है ।”
( 3 ) डॉ० राना के कथनानुसार,
“समाज के द्वारा समाज के लिए समाज की ही भूमि पर समाज के जीवन — स्तर को सुधारने के सामाजिक उद्देश्यों को ध्यान में रखकर किए जाने वाले वृक्षारोपण को सामाजिक वानिकी कहते हैं ।”
यह सामुदायिक आवश्यकताओं की पूर्ति एवं लाभ के लिए पेड़ लगाने, उनका विकास करने तथा वनों के संरक्षण पर बल देती है ।
इसका सर्वप्रथम प्रयोग 1976 में ‘ राष्ट्रीय कृषि आयोग’ द्वारा किया गया ।
इसके अंतर्गत ऐसे स्थानों पर जहाँ पहले वन नहीं रहा हो अथवा बहुत समय पूर्व वनों का कटान कर दिया गया हो, वहाँ कृत्रिम रीति से मानवीय आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए वृक्षारोपण कर वनों को उगाया जाता है ।
सामाजिक वानिकी का मूल उद्देश्य जनता द्वारा जनता के लिए वन संसाधनों का सृजन करना है ।
सामाजिक वानिकी से आप क्या समझते हैं?
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वन पृथ्वी का शृंगार और जीवन का आधार हैं ।वन प्रकृति की वह अमूल्य निधि है जो जीव एवं अजीव के मध्य सेतु का निर्माण करते हैं ।
भौतिक पर्यावरण को सुरक्षित, संचालित एवं गतिशील बनाए रखने में वनों का आधारभूत योगदान है ।
वन धरती पर प्राण वायु के प्राकृतिक कारखाने हैं और साथ ही दूषित वायु को शुद्ध करने की जिम्मेदारी भी निभाते हैं ।
गत अनेक शताब्दियों में मानवीय जनसंख्या के प्राकृतिक संसाधनों पर बढ़ते दबाव के परिणामस्वरूप वनों का तेजी से विनाश हुआ है ।
वर्तमान में भूपटल के लगभग 16 प्रतिशत भाग पर ही वन शेष रह गये हैं ।
विश्व के विभिन्न भागों में वनों का तेजी से होता सफाया धरती पर मानव जाति सहित सम्पूर्ण जीवन के लिए एक बड़ा खतरा बन कर मंडराने लगा है ।
वन — विनाश की विभिषिका से हुई हानि की कुछ सीमा तक भरपाई करने के लिए सामाजिक वानिकी (social forestry in hindi) को अपनाया गया है ।
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Originally published at https://www.agriculturestudyy.com on December 1, 2020.